सिंधिया पैनल की जीत के साथ ही कैलाश की किरकिरी 27-08-2012
राजनीति या सार्वजनिक जीवन में दंभी व्यक्ति से हर कोई नाराज
रहता है यह बात इंदौर में एमपी क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव मे साबित हो गई। तमाम
जोड़-तोड़ के बाद भी उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय औऱ उनके साथियों का चुनाव में
सूपड़ा साफ हो गया। लगातार दूसरी बार चुनाव हारने के बाद कैलाश विजयवर्गीय को अब
यह मंथन करना चाहिए कि उनके साथ कैसी टीम काम कर रही है जो उनकी लोकप्रियता को घटा
रही है। बीजेपी भी इस हार से सकते में है।
मध्यप्रदेश
की आर्थिक राजधानी इंदौर में हुए एमपी क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव में लगातार दूसरी
बार ज्योतिरादित्य सिंधिया औऱ उनकी पैनल के सामने टक्कर देने के लिए प्रदेश के
उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और उनके सिपहसालार चुनाव मैदान में थे । पिछले
सप्ताह भर से यह बात उड़ाई जा रही थी कि कैलाश इस बार सिंधिया को चुनावी मैदान में
शिकस्त दे देंगे लेकिन हकीकत जब सामने आई तो कैलाश और उनकी टीम ही धूल चाटती नजर
आई। लोगों का कहना है कि इस चुनाव में भाईगीरि नहीं चल पाई।
क्रिकेट
एसोसिएशन के चुनाव में राजनीतिज्ञों की धमासान के बाद खिलाड़ी वर्ग भी चिंतित हो
गया था। लगातार दूसरी बार चुनावी समर में बीजेपी के एक मंत्री और उनके समर्थकों के
धूल चाटने के बाद बीजेपी के नेता भी बैकफुट पर हैं। वे कहते हैं कि खेल में
राजनीति नहीं होना चाहिए हार-जीत तो चलती रहती है।
बीजेपी
के लिए इंदौर क्रिकेट एसोसिएशन के नतीजे मंथन का विषय भी हैं। एक समय इंदौर के
महापौर से लेकर मंत्री तक लगातार सत्ता का सुख भोगने वाले कैलाश विजयवर्गीय की
लोकप्रियता का ग्राफ गिरने का कारण क्या है। यह बीजेपी के लिए भी चिंतन का विषय
है। हाल ही में इंदौर में ताई औऱ भाई की लड़ाई तथा गुंडों को बीजेपी नेताओं द्वारा
साथ लेकर घूमना भी इस चुनाव के नतीजे में शामिल है। यह देखना दिलचस्प होगा कि
सत्ता की ठसक से बीजेपी नेता कब बाहर निकलते हैं। |