पाकिस्तानी मीडिया ने कसाब फैसले को 'अंडरप्ले' किया 30-08-2012
पाकिस्तानी अखबारों में भारतीय सुप्रीम
कोर्ट द्वारा कसाब को फाँसी की सज़ा
बरकरार रखने की खबर की चर्चा जरूर है लेकिन पहले पृष्ठ पर नहीं
बल्कि अंदर के
पृष्ठों में. डॉन ने
कसाब की खबर से ज्यादा नरोदा पटिया मामले में 32
लोगों को
सज़ा दिए जाने को तरजीह दी है. अखबार की सुर्खी है - \'मुंबई का बंदूकधारी फाँसी
के इंतेज़ार में.\' कसाब
की तस्वीर के साथ साथ अखवार ने एएफ़बी के
हलावे से उसका जीवन वृत्त भी छापा है.अखबार ने फ़रीदकोट में
कसाब के गाँव के लोगों को कहते हुए बताया है कि यह फैसला न्याय का उपहास है. हाँलाकि जब
यह फैसला सुनाया गया तो उसके गाँव
में बिजली नहीं आ रही थी लेकिन तब भी लोग इस फैसले पर गली
कूँचों में चर्चा करते
देखे गए.पाकिस्तान टुडे की
सुर्खी है - \'भारत
ने अजमल कसाब के लिए फाँसी के फंदे की पुष्टि की.\'
द नेशन
की हेडलाईन है - \'भारत
की सर्वोच्च अदालत ने कसाब की मौत की
सज़ा की पुष्टि की.\'
अखबार ने यह भी लिखा है कि इस बात की संभावना है कि कसाब
भारत के राष्ट्रपति से दया की अपील करेगा जिनके पास पहले से ही इस तरह के
11 मामले
पड़े हुए हैं.अखबार की नजर इस तथ्य पर भी गई है कि भारत में पिछले 15 सालों में सिर्फ एक व्यक्ति को फाँसी की
सज़ा दी गई है. द
न्यूज़ ने
इस खबर को बिना किसी टिप्पणी के बॉक्स में छापा है. डेली टाइम्स ने भारत के विदेश मंत्री एस एम कृष्णा
का बयान छापा है कि उन्हे विश्वास है कि पाकिस्तान इस फैसले पर ग़ौर करेगा. पाकिस्तान
न्यूज़ ने
विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के नेता मुख्तार अब्बास नकवी का बयान छापा है कि कसाब को
फाँसी की सजा दिए जाने में कोई
देर नहीं की जानी चाहिए. अखबार ने कानूनी विशेषज्ञों को यह
कहते हुए बताया है
कि इस फैसले को अमली जामा पहनाने में महीनों से ले कर सालों तक लग सकते हैं.
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