मनमोहन के काम लोमड़ी जैसे: सिंघल 06-05-2013
विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक अशोक सिंघल का कहना है कि पाकिस्तान को
सबक सिखाने के लिए भारत को उस पर हमला करना चाहिए। प्रधानमंत्री मनमोहन
सिंह कायरता न दिखाएं, वह नाम के साथ \'सिंह\' लगाते हैं पर काम लोमड़ी जैसे
करते हैं। राममंदिर के लिए संसद से कानून बने, यह मुद्दा फिर गर्माएगा।
रामलला तंबू के नीचे बैठें यह हमें मंजूर नहीं।
राजधानी में पत्रकारों से चर्चा करते हुए विहिप नेता सिंघल ने
पाकिस्तान, चीन, राममंदिर, गाय-गंगा और हिन्दुओं के दमन जैसे मुद्दों पर
जोशीले अंदाज में अपनी बात कही। उन्होंने आरोप लगाया यह कायरों की सरकार
है। चीनी सैनिक हमारे यहां घुस आए सरकार का स्वाभिमान नहीं जागा।
सिंघल ने कहा कि राममंदिर के बारे में फैसला आ चुका है फिर देर
क्यों? संसद में इसका निर्णय हो। वहां 70 एकड़ भूमि भी मंदिर निर्माण के लिए
दी जाए। अयोध्या हमारी मोक्ष भूमि है हम वहां मुस्लिम केन्द्र नहीं बनने
देंगे। 475 साल संघषर्ष कर चुके हैं। आगे हम शांति से रहना चाहते हैं।
सांस्कृतिक सीमा में कोई मस्जिद नहीं चाहेंगे।
उन्होंने बताया कि गंगा दशहरा 11-12 जून को संत समाज हरिद्वार में
बैठकर आगे की कार्ययोजना तय करेंगे। संत हमारे मार्गदर्शक हैं, चुनाव के
पहले संसद इस बारे में कोई कानून बनाए। उन्होंने चेताया कि हिन्दू दमन इसी
तरह चलता रहा तो 50 साल बाद हम मुस्लिमों के मातहत होंगे।
मुस्लिम लीडरशिप हाईजैक
वह बोले कि मुस्लिम समाज का नेतृत्व जेहादियों ने हाईजैक कर लिया है।
सारे संसार में अशांति मची है। 80 फीसदी मुस्लिम समाज शांति चाहता है,
लेकिन जेहादी ऐसा नहीं होने देते। देश में हिन्दू धर्म को नष्ट करने मंदिर
तोडे़ जा रहे हैं। नरेंद्र मोदी के बारे में सवाल होने पर वह बोले कि यह
मीडिया का विषषय है।
खर्च हो गया मंदिर का पैसा
राम मंदिर के नाम विहिप द्वारा देश भर से एकत्र चंदे पर पूछने पर
सिंघल ने बताया कि उस वक्त कुल 8 करोड़ 25 लाख रुपए एकत्र हुआ था। जिसका
हिसाब चार्टर्ड एकाउंटेंट्स रखते हैं। देश के 6 करोड़ 50 लाख लोगों ने सवा
रुपए के हिसाब से यह राशि मंदिर निर्माण के लिए दी थी।
उन्होंने कहा कि ज्यादातर राशि खर्च हो चुकी है, मंदिर का 60 फीसदी
हिस्सा तैयार हो चुका है। तो क्या विहिप मंदिर के लिए फिर चंदा मांगेगी?
इसके जवाब में वह बोले कि यह निर्णय संत करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे
संतों का एजेंडा है उसे 60 करोड़ मतदाताओं तक पहुंचाना है। |