ग्रामीण महिलाओं के लिए नई सौगात 33 फीसद आरक्षण का प्रस्ताव 05-02-2016
नई दिल्ली। किसानों को फसल बीमा योजना का तोहफा देने के बाद सरकार अब
ग्रामीण महिलाओं के लिए नई सौगात लाने वाली है। इसके तहत पंचायतों में
महिलाओं को पचास फीसद आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन किया जाएगा। संसद
के बजट सत्र में ही इस आशय का प्रस्ताव आ सकता है। केंद्रीय ग्रामीण विकास
मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा कि हम पंचायतों में महिलाओं की
हिस्सेदारी को बढ़ाकर 50 फीसद करने जा रहे हैं। अभी पंचायतों में महिलाओं
के लिए 33 फीसद आरक्षण की व्यवस्था है। इसे 73वें संविधान संशोधन के जरिए
सुनिश्चित किया गया था। पंचायत (अनुसूचित क्षेत्र विस्तार) अधिनियम, 1996
(पेसा एक्ट) के कार्यान्वयन पर दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को
संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि अभी पंचायत चुनावों में एक वार्ड महिला
प्रत्याशियों के लिए आरक्षित रहता है। यह आरक्षण पांच साल के एक कार्यकाल
के लिए होता है। लेकिन हम इसे दो कार्यकाल (दस साल) तक बढ़ाना चाहते हैं।
ताकि एक बार चुनी गई महिला को दूसरी बार चुने जाने और अपने नेतृत्व क्षमता
का विकास करने का मौका मिले। इस दौरान सिंह ने विधवा पेंशन के लिए आयु सीमा
घटाए जाने पर विचार की बात भी कही। हालांकि उन्होंने इसका ब्यौरा नहीं
दिया। अभी 40 वर्ष से ऊपर की विधवाएं ही विधवा पेंशन की हकदार हैं।
उन्होंने राज्यों में पेसा एक्ट को शीघ्र लागू किए जाने की भी वकालत की।
साथ ही कहा कि आदिवासी अब विकास के लिए और इंतजार नहीं कर सकते। आदिवासियों
की अपनी संस्कृति, मूल्यों व परंपराओं के प्रति अटूट निष्ठा की प्रशंसा
करते हुए उन्होंने कहा कि इसी खूबी के कारण साम्राज्यवादी ताकतें भारतीय
आदिवासियों का खात्मा करने में विफल रहीं। जबकि दुनिया के अन्य हिस्सों में
उन्होंने आदिवासियों का लगभग सफाया कर दिया है। पेसा एक्ट ग्राम सभाओं को
अपनी स्थानीय परंपराओं, रीति-रिवाजों और सांस्कृतिक पहचान, सामुदायिक
संसाधनों और विवाद निपटाने के पुराने तौर-तरीकों का संरक्षण करने का अधिकार
देता है। इसके तहत उन्हें विकास की अपनी योजनाएं और कार्यक्रम बनाने का भी
अधिकार है। कार्यशाला के दौरान पेसा एक्ट के नियम और विभिन्न विषयों पर
चर्चा होगी। |