अमेरिका ईरानी तेल पर भारत की निर्भरता करेगा कम 10-05-2012
वाशिंगटन। अमेरिका
ईरानी तेल पर भारत की निर्भरता कम करने के लिए अगले सप्ताह शीर्ष ऊर्जा
विशेषज्ञों को यहां भेजेगा। विदेश विभाग के विशेष दूत और अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा मामलों के संयोजक
कालरेस पास्कल विशेषज्ञों के एक समूह के साथ यहां आएंगे। वे भारत को कम कीमत पर
तेल आपूर्ति के वैकल्पिक स्रोतों के बारे में बताएंगे। यह दल ईरानी
तेल पर भारत की निर्भरता कम करने के लिए तकनीकी सहायता देगा।हिलेरी ने भारत
यात्रा से वापसी के बाद यह टिप्पणी की है। इस दौरान उन्होंने भारत को ईरान के साथ अपने व्यापार
और ऊर्जा संबंधों को कम करने के लिए कहा। अमेरिका का मानना है कि विवादित
परमाणु कार्यक्रम पर अंतरराष्ट्रीय मांग को पूरा करने के लिए ऐसा करना जरूरी है।
हिलेरी से बातचीत के बाद विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने कहा था, मैंने फारस की खाड़ी और वृहत्तर
पश्चिम एशियाई क्षेत्र में शांति और स्थिरता में अपने हित के बारे में बताया
है। वहां करीब 60 लाख भारतीय रहते हैं। हमारी अर्थव्यवस्था में भी इस क्षेत्र का काफी महत्व है। हालांकि
हिलेरी ने भारत द्वारा ईरानी तेल पर निर्भरता कम करने के प्रयासों का स्वागत
किया है। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि भारत के लिए ऐसा करना काफी मुश्किल भरा कदम
होगा।हिलेरी ने कहा, भारत की तेल शोधक कंपनियों ने ईरानी तेल की खरीद से जुड़े ऑर्डर
मंगाने बंद कर दिए हैं। निश्चित तौर पर उन्होंने कदम उठाया है। हालांकि
भारत के लिए ऐसा करना मुश्किल है ठीक वैसे ही जैसे ईरानी तेल पर निर्भर
कुछ यूरोपीय देशों को हुई थी। हमने उन देशों को तेल आयात करने के कुछ
वैकल्पिक उपाय सुझाए थे। उन्होंने कहा, हम भारत द्वारा उठाए गए कदमों का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि सबसे
बड़ी बात तो ये है कि भारत ईरान के मामले में अमेरिकी लक्ष्यों से इत्तेफाक
रखता है। अमेरिका परमाणु कार्यक्रम के संबंध में ईरान पर दबाव डालने
के लिए वहां से तेल आयात में कटौती की मांग कर रहा है। उल्लेखनीय है कि
भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी के बराबर कच्चा तेल आयात करता है। वह तेहरान पर 12 फीसदी आयात के लिए निर्भर है।
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